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फ़िलिस्तीन: एक जटिल इतिहास और आज का संकट

फ़िलिस्तीन: एक जटिल इतिहास और आज का संकट

🔹 प्रस्तावना

फ़िलिस्तीन का मुद्दा आधुनिक अंतरराष्ट्रीय राजनीति के सबसे जटिल और संवेदनशील विवादों में से एक है। यह सिर्फ एक भौगोलिक या राजनीतिक संघर्ष नहीं, बल्कि धर्म, पहचान, अधिकार, और न्याय से जुड़ा मुद्दा है। दशकों से चले आ रहे इस विवाद ने मध्य-पूर्व को लगातार अस्थिर बनाए रखा है और वैश्विक स्तर पर भी राजनीति को प्रभावित किया है।


🔸 प्राचीन फ़िलिस्तीन: एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण

फ़िलिस्तीन का क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से "लेवैंट" का हिस्सा रहा है, जो आज के इस्राइल, फ़िलिस्तीन, जॉर्डन, लेबनान और सीरिया के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनता है।

  • 3000 ईसा पूर्व में यह क्षेत्र कनानी सभ्यता का केंद्र था।
  • बाद में यहूदी साम्राज्य, रोमनों, बीजान्टाइन, इस्लामी खिलाफत, और उस्मानी साम्राज्य (Ottoman Empire) ने इस क्षेत्र पर शासन किया।
  • फ़िलिस्तीन यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों – तीनों के लिए धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यरूशलेम (Jerusalem) तीनों धर्मों का पवित्र स्थल है।

🔸 ब्रिटिश शासन और बंटवारे की नींव

  • 1917: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन ने "बालफोर घोषणापत्र" के ज़रिए यहूदियों के लिए एक "राष्ट्रीय घर" की वकालत की, जो फिलिस्तीनियों के अधिकारों को नजरअंदाज करता था।
  • 1920-1948: ब्रिटेन ने लीग ऑफ नेशंस के जनादेश के तहत फ़िलिस्तीन पर नियंत्रण रखा। इस दौरान यहूदी प्रवासियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई, जिससे अरब-यहूदी तनाव बढ़ा।

🔸 1947: संयुक्त राष्ट्र का विभाजन प्रस्ताव

  • संयुक्त राष्ट्र ने फ़िलिस्तीन को यहूदी और अरब राज्यों में बांटने का प्रस्ताव रखा।
  • यहूदियों ने प्रस्ताव को स्वीकार किया, लेकिन अरबों ने इसे खारिज कर दिया, क्योंकि प्रस्ताव के तहत यहूदियों को 55% भूमि दी गई, जबकि उस समय वे जनसंख्या का केवल एक-तिहाई थे।
  • 14 मई 1948: इस्राइल ने खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया।

🔸 1948 का अरब-इस्राइल युद्ध और 'नक़बा'

  • इस्राइल की स्वतंत्रता के तुरंत बाद, मिस्र, जॉर्डन, सीरिया और इराक ने उस पर आक्रमण किया।
  • इस युद्ध में इस्राइल विजयी रहा और उसने प्रस्तावित क्षेत्र से अधिक भूमि पर कब्जा कर लिया।
  • लगभग 7.5 लाख फ़िलिस्तीनी लोग अपने घरों से बेघर हुए। इसे 'नक़बा' (आपदा) कहा जाता है।

🔸 वेस्ट बैंक, गाज़ा और पूर्वी यरूशलेम का मुद्दा

  • 1949-1967: वेस्ट बैंक पर जॉर्डन और गाज़ा पट्टी पर मिस्र ने नियंत्रण रखा।
  • 1967 के छः-दिवसीय युद्ध में इस्राइल ने इन दोनों क्षेत्रों और पूर्वी यरूशलेम पर कब्जा कर लिया।
  • इसके बाद से ही फ़िलिस्तीनी इन क्षेत्रों को अपने स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मांगते हैं।

🔸 पीएलओ, हमास और फिलिस्तीनी प्रशासन

  • 1964 में "फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन" (PLO) का गठन हुआ, जिसने फिलिस्तीनी राष्ट्रीयता की आवाज़ उठाई।
  • 1993 में "ओस्लो समझौते" के तहत एक फिलिस्तीनी प्रशासन (Palestinian Authority) की स्थापना हुई।
  • 2006 में हमास ने गाज़ा में चुनाव जीतकर नियंत्रण हासिल कर लिया, जबकि वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी प्रशासन (Fatah) का नियंत्रण रहा।

🔸 इस्राइल की बस्तियाँ और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

  • इस्राइल ने वेस्ट बैंक में कई यहूदी बस्तियाँ बसाई हैं, जिन्हें अधिकांश देश अवैध मानते हैं।
  • इन बस्तियों और सुरक्षा दीवारों ने फिलिस्तीनी राज्य की संभावना को और कमजोर किया है।
  • अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बार-बार दो-राज्य समाधान (Two-State Solution) की बात की है, पर ज़मीनी सच्चाई इससे उलट है।

🔸 हालिया संघर्ष और स्थिति (2020–2025)

  • 2021: यरूशलेम के शेख जरा इलाके में बेदखली के प्रयासों से तनाव बढ़ा और गाज़ा में इस्राइल-हमास युद्ध हुआ।
  • 2023: इस्राइल की नई सरकार ने और आक्रामक रुख अपनाया, जिससे वेस्ट बैंक में हिंसा बढ़ी।
  • 2024-25: गाज़ा में भारी मानवीय संकट, हज़ारों नागरिक हताहत, और लाखों विस्थापित।

🔸 मानवीय संकट और अंतरराष्ट्रीय प्रयास

  • गाज़ा में बार-बार की नाकेबंदी और हवाई हमलों से जल, बिजली, स्वास्थ्य सेवाएं ठप हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र, WHO, और अन्य एजेंसियाँ लगातार मदद पहुँचा रही हैं लेकिन हालात बेहद नाज़ुक हैं।
  • अरब देशों, यूरोपीय यूनियन, अमेरिका और कई वैश्विक संगठन संघर्ष के समाधान के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कोई स्थायी हल नहीं निकला।

🔸 निष्कर्ष

फ़िलिस्तीन का मुद्दा केवल एक भू-राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि मानवीय त्रासदी है। इसके समाधान के लिए न केवल राजनीतिक इच्छाशक्ति की ज़रूरत है, बल्कि ऐतिहासिक अन्याय को स्वीकार करने और न्याय आधारित समाधान पर सहमति बनाने की भी आवश्यकता है।

The Musim 19 May 2025
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