तेहरान के बच्चों के अस्पताल पर इज़रायली ड्रोन हमला, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा तेज

तेहरान, ईरान – ईरान की राजधानी तेहरान स्थित हकीम चिल्ड्रन हॉस्पिटल पर हुए इज़रायली ड्रोन हमले को लेकर दुनियाभर में कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब क्षेत्र में पहले से ही तनाव चरम पर है, और अब स्वास्थ्य ढांचे को निशाना बनाए जाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय गहरी चिंता जता रहा है।
ईरानी अधिकारियों के अनुसार, ड्रोन हमले में अस्पताल की इमारत का एक हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ, हालांकि मृतकों और घायलों की संख्या की पुष्टि फिलहाल नहीं की गई है। लेकिन जिस समय हमला हुआ, उस वक्त अस्पताल में दर्जनों बच्चे इलाज के लिए भर्ती थे।
"मानवता पर हमला है" — विशेषज्ञों की तीखी प्रतिक्रिया
तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज़ के प्रोफेसर और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी के जनक माने जाने वाले डॉ. हुसैन कानाती ने तेहरान टाइम्स से बातचीत में इस हमले की कड़ी निंदा की।
"यह हमला दुनिया के सामने इज़राइल का असली चेहरा उजागर करता है। यह शासन मानव मूल्यों या अंतरराष्ट्रीय कानूनों को नहीं मानता। बच्चों के अस्पताल को निशाना बनाना केवल एक रणनीतिक कार्रवाई नहीं, बल्कि मानवता पर सीधा प्रहार है," — डॉ. कानाती
अंतरराष्ट्रीय कानून और संभावित युद्ध अपराध
अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून (IHL) के तहत किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई से अस्पतालों को सुरक्षित माना जाता है। जिनेवा कन्वेंशन के अनुच्छेदों में स्पष्ट किया गया है कि चिकित्सा संस्थान युद्ध के समय "संरक्षित क्षेत्र" माने जाते हैं और उन पर हमला एक युद्ध अपराध के रूप में देखा जा सकता है।
अभी तक इज़राइल की ओर से इस हमले को लेकर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, इससे पहले भी क्षेत्रीय संघर्षों के दौरान ऐसे हमलों को "सुरक्षा उपाय" या "आतंकवादियों के ठिकानों" पर कार्रवाई कहकर न्यायोचित ठहराया जाता रहा है।
ईरानी सरकार और वैश्विक प्रतिक्रिया
ईरान के विदेश मंत्रालय ने इस हमले को "निर्दोषों पर जानबूझकर किया गया हमला" करार दिया है और संयुक्त राष्ट्र समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों से तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की है।
ईरान के विदेश मंत्री ने ट्वीट करते हुए कहा, "इज़राइल ने बच्चों के अस्पताल को निशाना बनाकर अपनी अमानवीयता की सारी सीमाएं लांघ दी हैं। यह केवल ईरान पर नहीं, बल्कि समूची मानवता पर हमला है।"
दुनियाभर के मानवाधिकार संगठनों, चिकित्सा समुदाय और कई देशों ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है। एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे संस्थानों ने इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है।
क्षेत्रीय तनाव और आगे की राह
विश्लेषकों का मानना है कि इस हमले से पहले से ही जटिल मध्य-पूर्व संकट और अधिक गंभीर हो सकता है। ईरान और इज़राइल के बीच दशकों से छद्म युद्ध (proxy conflict) चल रहा है, और अब प्रत्यक्ष हमले की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
जैसे-जैसे अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है, वैश्विक मंच पर यह सवाल तेज़ हो गया है: क्या युद्ध में भी कोई सीमा होती है?