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अब कोई सीमाएं नहीं’: भारत-पाकिस्तान टकराव ने तोड़ीं पुरानी रेखाएं

अब कोई सीमाएं नहीं’: भारत-पाकिस्तान टकराव ने तोड़ीं पुरानी रेखाएं


नई दिल्ली, भारत – भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण सीमा पर फिलहाल शांति बनी हुई है, जहां बीते तीन रातों से संघर्षविराम प्रभावी रहा है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस ताज़ा संघर्ष में दो परमाणु हथियारों से लैस देशों ने उन ‘लाल रेखाओं’ को पार कर दिया है, जो दशकों से उनकी सीमित जंगों को रोकती थीं।


कैसे शुरू हुआ नया संकट?

7 मई की सुबह भारत ने पाकिस्तान के अंदर कई "आतंकी ठिकानों" पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जो 22 अप्रैल को भारतीय कश्मीर के पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या का बदला बताया गया। भारत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकियों को जिम्मेदार ठहराया, जिसे इस्लामाबाद ने खारिज कर दिया।


4 दिन चला संघर्ष, फिर अमेरिका की मध्यस्थता में हुआ युद्धविराम

दोनों देशों ने एक-दूसरे के सैन्य अड्डों और आबादी वाले इलाकों को निशाना बनाया। भारत ने इसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया, जबकि पाकिस्तान ने अपने जवाबी अभियान को ऑपरेशन बुनयान मारसूस कहा। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्षविराम की घोषणा पहले की, और दोनों देशों ने बाद में उसकी पुष्टि की।


अमेरिका की भूमिका और भारत की असहजता

भारत लंबे समय से कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का विरोध करता रहा है। लेकिन ट्रंप के सार्वजनिक हस्तक्षेप ने इस नीति को चुनौती दी। मोदी सरकार ने दावा किया कि युद्धविराम भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी सहमति से हुआ, जबकि पाकिस्तान ने ट्रंप का आभार व्यक्त किया।


हमलों के दायरे में क्या आया?

भारत ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर, मुरिदके, शकरगढ़ और सियालकोट के पास गांवों को निशाना बनाया – जो आर्थिक रूप से पाकिस्तान का दिल कहा जाता है। पाकिस्तान ने भी जम्मू-कश्मीर और पंजाब में भारत के कई एयरबेस पर हमले किए। दोनों पक्षों ने दावा किया कि उन्होंने भारी नुकसान पहुँचाया, हालांकि शुरुआती रिपोर्टों में सीमित क्षति की बात सामने आई है।


पानी भी बना हथियार

पहलगाम हमले के बाद भारत ने 1960 की इंडस वाटर ट्रीटी (सिंधु जल संधि) से खुद को अलग कर लिया। पाकिस्तान ने इसे "युद्ध की घोषणा" बताया। मोदी ने अपने भाषण में कहा, “रक्त और जल एक साथ नहीं बह सकते।”


परमाणु युद्ध की चेतावनी

मोदी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से कहा कि भारत “परमाणु ब्लैकमेल” बर्दाश्त नहीं करेगा और “सटीक और निर्णायक हमले” करेगा। इससे संकेत मिलता है कि भारत अब पारंपरिक युद्ध की सीमाओं को छोड़कर नई रणनीति अपना सकता है।


आतंकवादी बनाम सरकार: अब कोई फ़र्क नहीं?

मोदी ने संकेत दिया कि भविष्य में भारत आतंकियों और उन्हें समर्थन देने वाली सरकारों में कोई अंतर नहीं करेगा। यह बयान बेहद खतरनाक माना जा रहा है, क्योंकि यह पाकिस्तान की सेना और सरकार को सीधे निशाना बना सकता है।


निष्कर्ष: भविष्य में एक चिंगारी से युद्ध

विशेषज्ञों का कहना है कि अब हालात इतने नाजुक हो चुके हैं कि एक आतंकी हमला ही पूरे क्षेत्र को युद्ध में झोंक सकता है। कूटनीति के लिए जगह कम होती जा रही है और हालात "परमाणु फ्लैशपॉइंट" की तरफ बढ़ रहे हैं।

The Musim 13 May 2025
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भारत का 'नया सामान्य': स्थायी युद्ध और लोकतंत्र का संकट